कालमेघ एक बहुवर्षीय शाक जातीय औषधीय पौधा है। कालमेघ की पत्तियों में कालमेघीन नामक उपक्षार पाया जाता है, जिसका औषधीय महत्व है। व्यापक रूप से इसकी खेती की जाती है। पौधे की छँटाई फूल आने की अवस्था अगस्त-नवम्बर में की जाती है। बीज के लिये फरवरी-मार्च में पौधों की कटाई करते है। पौधों को काटकर तथा सुखाकर बिक्री की जाती है। औसतन ३००-४०० की शाकीय हरा भाग (६०-८० किग्रा सूखा शाकीय भाग) प्रति हेक्टेयर मिल जाती है।
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