मुखजली एक कीटभक्षी पौधा है। यह लगभग २ सेमी व्यास का पौधा है। यह सबसे तेजी से कीट पकड़ने वाले पौधों में से एक है। इसकी पत्तियाँ किसी कीट को कुछ ही सेकेण्ड में मुड़कर लपेट लेतीं हैं जबकि इसी जाति के दूसरे पौधों में यही क्रिया मिनटों से लेकर घण्टों तक में होती है। प्रकृति में यह पौधा वार्षिक है किन्तु यदि ठण्ड के महीनों में इसे घर के अन्दर उगाया जाय तो कई वर्षों तक रह सकता है। यह पादप बड़ी मात्रा में बीज पैदा करता है। आयुर्वेद में यह पादप रक्तिमाकर (rubefacient) के रूप में सुज्ञात है, अर्थात् इसके प्रयोग द्वारा त्वचा में लालिमा लायी जाती है।
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