शतावरी के पौधे को पूरी तरह विकसित होने और कंद के इस्तेमाल लायक होने में कुल 3 वर्ष का समय लगता है. इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है. शतावरी के पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है. शुरुआत में सप्ताह में एक बार और जब पौधे बड़े हो जाएं तो महीने में एक बार हल्की सिंचाई करनी पड़ती है। शतावरी एक औषधीय जड़ी बूटी है जिसका उपयोग कई तरह के स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जाता है।
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